फलसफा -ए-ज़िंदगी
कदम का उठना,
गिरना,
और आगे बढ़ जाना-
इतनी सी है ज़िंदगी।
यारों का मिलना,
रूठना,
और हमेशा के लिये दूर हो जाना-
एक विरह सी है ज़िंदगी।
अश्क़ का छलकना,
ढकलना,
और गाल पर कहीं सूख जाना-
पल भर की है ज़िंदगी।
एहसासों का बन्धन,
उलझन,
और उम्मीदों का दलदल-
ऐसी ही है ज़िंदगी।
बस ऐसी ही है ज़िंदगी।.……